क्षत्रिय कोलिय वंश की उत्पत्ति पर पुस्तकें


Prācīna Bhārata kā itihāsa. [Lekhaka] Avadhabihārī Lāla Avasthī

A. B. L. Awasthi - 1969 - ‎Snippet view - ‎More editions
महाभारत में भर्ग नामक जनपद का उल्लेख मिलता है। राजा भर्ग भूमि के नाम पर इसका भी नाम भर्गभूमि (गरुड़पुराण अध्ययन, पृ० १५) पड़ा । ५-रामगाम के कोलिय (रामगाम का कोलिया) दीघ्घनिकाय पर बुद्धघोष कृत टीका के अनुसार कोलिय वंश की उत्पत्ति शाक्य कन्या और काशी के राजा राम के सम्बन्ध से हुई थी । दिव्यावदान (बौद्ध संस्कृत ग्रन्थ) में भी १७ इनकी राजधानी रामग्राम थी ।




Gautam Buddha Prashnotari - Page 18

यर 5 स-ब-स प्रा/बय एवं कोलिय यजते को विभाजन तय बया श्री हैं उत्तर ४--वाबय एवं कोलिय गणतंत्र को विभाजन रेखा रोहिणी नई थी जी आज भी पवाहमति है । यर (7- प्रा/यय एड कोलिय य0लम्बर के यया जिम बान को (नेलर जि-बम हम उक्त गुम हैं उत्तर प---शाबय एवं कोनीय गणतंत्र के मध्य रोहिणी के जल को लेकर दिवार होता रहता था । यर 1-7 तो अपर एब" कोलिय यजते के बीय अभिमत के जान कर जिब/मुर लिय यम ...

SSC ITIHAAS: - Page 31

रामग्राम के कोलिय : गौतम बुद्ध की माता इसी कुल से सम्बन्धित थीं। ... मगध का उत्कर्ष पुराणों के अनुसार मगध पर सर्वप्रथम बाहद्रथ वंश का शासन था। इसी वंश के ... हर्यक वंश (544 ई.पू. से 412 ई.पू. ) : इस वंशका पितृहन्ता वंश भी कहा जाता है। इस वंश में प्रमुख तीन शासक हुए। बिम्बिसारZश्रोणिक (544 से 492 ई.पू.) : बिम्बिसार मगध साम्राज्य की महत्ता का वास्तविक संस्थापक था।

Bauddhadarśana tathā anya - Volume 1

1955 - ‎Snippet view - ‎More editions
... बुद्ध- कोलिय वंश की राजकुमारी थीं, इस आश्चर्ममय जीवनी देने का प्रयत्न--- पुरुष का जाम कपिलवस्तु- से करीब चौदह-पन्द्रह अम, बोवन और महा- मील की दूरी पर लुन्दिनी वन ( रोमन देई भिनिष्कमण विशन से प्राय: आठ मील पश्चिम, नैपाल की तराई ) में शाल वृक्षों के नीचे हुआ : महाराज (१) अक्लरियधम्म-सृत्त ( मरिम', ३।३१३ ) जैसे पालि-त्रिपिटक के औरों में इस काव्यमय पद्धति का आश्रय ...

Bhārataratna Ḍô. Ambeḍakara aura Bauddhadharma

Bhagchandra Jain, ‎Bhimrao Ramji Ambedkar - 1991 - ‎Snippet view - ‎More editions
में वैशाख पूर्णिमा के दिन जन्म लिया, माता कोलिय वंश की राजकुमारी महामाया थी : वीरता का परिचय देने पर महामाया की बडी बहन मह-प्रजापति से भी उन्हें विवाह करने की अनुमति मिल गई-: भ, वृहद के सम्बन्धियों के विषय में प्राचीन ग्रन्थ एकमत नहीं हैं । मबग (पृ. ८६ ) में वृहद के पिता का नाम शस्वीदन मिलता है और पातर का नाम माया (दीघजिम्पाय २, पृ. ८) । धहाप्रजा९नि को अल ...

History of Ancient India (Hindi) - Page 282

Upinder Singh - 2016 - ‎Preview
शाक्य स्वयं को ईक्ष्वाकु या सूर्य वंश के उत्तराधिकारी मानते थे। इनका राज्य पूर्व में रोहिणी नदी, पश्चिम में तथा दक्षिण में भी राप्ती नदी, ... रामग्राम के कोलिय शाक्यों के पूर्व में अवस्थित थे। रोहिनी नदी इस क्षेत्र को दो भागों में बांटती थी। शाक्य और कोलिय में सम्बंध बतलाया जाता है। भर्ग या भग्ग संघ की स्थिति विंध्य क्षेत्र में थी जो लगभग यमुना और सोन ...

Rāmāyaṇamīmāṃsā

Hariharānandasarasvatī (Swami.) - 2001 - ‎Snippet view - ‎More editions
उन्हीं पीथों द्वारा पिया की चिकित्सा कर के राम ने उससे विवाह किया और ३२ पुत्र उत्पन्न किये (: ६ यब इसके बाद उसने वन में कोलनगर बसाया और शाक्य राजकुमारियों से अपने पुत्रों का विवाह कराया : शाक्य तथा कोलिय प्रत्येक वंश के २५० राजकुमार भिक्षु बन गये थे । वे अपने वैराग्य में दृढ़ न रह कर लौटने की अभिलाषा करते हैं । तब महात्मा वृद्ध उनको महाकु-माल-जातक सुनाकर ...

Prācīna Bhārata

Rajbali Pandey - 1962 - ‎Snippet view - ‎More editions
उत्तर में शाक्य और कोलिय राजन के बीच में रोहिणी नदी सीमा थी । कोलिय लोग काशी के नागवंश और शायरों के मिश्रण से उत्पन्न हुए थे । वर्तमान गोरखपुर के आसपास कोल (सं० ८८कंकोल) कृत के जंगले, को साफ कर बसने के कारण ये कोलिय कहलाये । इनकी राजधानी समग्र. ( वर्तमान रामगढ़ ताल-गोरखपुर) ... गोप या जल लोग शाप" की ही एक शाख. थे । चन्द्रगुप्त अल इसी वंश में उत्पन्न हुआ था ।

Prācīna Bhāratīya saṃskr̥ti, kalā, dharma, evaṃ darśana

Rāmalāla Siṃha - 1990 - ‎Snippet view
(३) राम याम का कोलिय गणराज्य-म राजा शाक्य राज्य के पूर्व में था : कोलिय व शाक्य गणराज्यों के बीच में रोहिणी नदी बहती थी है इसके जल का उपयोग दोनों राज्य सिंचाई के लिए करते थे । अत: इन ... पिष्णलिवन नामक नगर बसाया : इस क्षेत्र में मोरों का बाहुल्य था, इसलिए इन्हें मोरिय या मौर्य कहा जाता है : चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक स्थान पर अपने को शाश्य वंश का आत्रेय कहा है ।

Chanakya Tum Laut Aao: - Page 117

Shivdas Pandey - 2015 - ‎Preview
कुलशील नंदों की शत्रुता क्षत्रिय वंश से रहती है और संभवत: उनकी प्रतिज्ञा है कि वे किसी भी स्थिति में मगध के सिंहासन पर अब किसी वृहद्रथवंशी क्षत्रिय या किसी भी वंश के क्षत्रिय को आसीन होने का अवसर नहीं आने देंगे। चंद्रगुप्त मौर्य वृहद्रथ ... अंतत: तो जहाँ पर्वतक वहीं मुरिय, वहीं कोलिय, वहीं शाक्य, वहीं मिथिला, वहीं वैशाली और वहीं मल्ल। इतना ही नहीं, जहाँ ...

Bhārata-saṅgama:

Aruṇa - 1969 - ‎Snippet view
... आज के रोहतगी या रस्तोगी ; ग्रीक वर्णित अरहियोई या महाभारत के अदा, आज के अरोडा ; समुद्रगुप्त और रुद्रदामन के औवेय गण, आज के जोहिम राजपूत ; बौद्धों का कोलिय गण, उत्तरी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कोरी ; पिप्पलीवन के मोरिय गण, आज के मौर्य । ... उनका पुत्र पुरुरवा हुआ जिससे चन्द्र वंश या ऐल वंश चारा : पुरुरवा बडा प्रतापी राजा हुआ है वह मन्त्रद्रष्टा भी था ।

Samrat Ashok - Page 27

वस्तु के शाक्य (2) रामगाम के कोलिय (3)पावा के मल्ल (4) कुशीनगर के मल्ल (5) मिथिला के विदेह (6) पिप्पल वन के मोरिय (7) सुंसुमार पर्वत के भग्ग (8) अल्लकप्प के बुलिय(9) केशपुत के कालाम व (10) वैशाली के लिच्छवी * | 'सारे बौद्ध ग्रन्थों में मौर्यों को शाक्यों की एक शाखा कहा गया है। मगध साम्राज्य ... महावस्तु में शाक्यों की उत्पत्ति राजा इक्ष्वाकु के वंश से बताई गई है ।

Kautilya Arthshastra: - Page 21

शाक्य गणराज्य, पिप्पलिवन का मौर्य, सिंसुमारगिरि का भर्ग या भाग, रामग्राम का कोलिय आदि ऐसे ही गणराज्य थे। उल्लेखनीय है कि ये सभी पहले वंशानुगत राजतंत्र से संबद्ध ... ये गणराज्य वंशानुगत अधिकारी-तंत्र को नकारते अवश्य थे, पर उनका वंश वास्तव में एक कुलीनतंत्र था, जिसमें अधिकारी प्राय: क्षत्रिय ही होते थे। हाँ, कुछ बातों में ये गणराज्य समानता अवश्य रखते थे।

Hindī nāṭakoṃ meṃ Bauddhakālīna saṃskr̥ti - Page 97

Śakuntalā Agnihotrī - 1990 - ‎Snippet view - ‎More editions
कोलिय गणराज्य-शाक्य एवम् कोलिय गणराज्य. के बीच में रोहिणी नदी बहती थी और यह राजय शाक्य राज्य के पूर्व में था । एक बयार शाक्य) एवं कोलियों में एक खेत की सिंचाई को लेकर घनघोर ... लिष्यवि गशरात्य--लिउछवि इच्छाक, वंश के क्षत्रिय थे । पवित्र सरल एवं सादे जीवन के लिए प्रसिध्द थे । यह विस्तृत एवं शक्तिशाली गणराज्य था । विशाल राजय प्रासादों, चैत्य, विहारों, सिंह ...

Bauddhaparva

Vasudeo Govind Apte - 1972 - ‎Snippet view
पफिन जो वंश भाला त्याला कोलियड़ असे नाव पडली या कोलिय /श्शगा सुभूती नावाचा राजा हाला. त्याला पाच मुली होत्या स्की माया व महाप्र-जावती या दोधीचा विवाह शाक्य वंशातल्या शुद्ध/दन राजाकी होऊन मकिठया रोटी गमास्तम बुद्ध जन्मास उराला. सुप्रसिद्ध काविमरी रोरोर कवी शेमेद याने अत्तिया अवदान कल्पलता नामक प्रेथात शाक्मांच्छा उत्पर्तरबिधाने दिलेली ...

History of India-Hindi - Page 94

इस वंश के सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक गौतमी पुत सिरी सातकनि अपना उल्लेख क्षत्रियों के दर्प का हनन करने वाले एक अनूठे ब्राह्मण के रूप में करते थे। उनका दावा था कि उन्होंने चार वर्णों के ... तत्कालीन स्त्रोतों से पता चलता है कि शाक्य और कोलिय शाखा के क्षत्रिय कृषि कार्य करते थे और अपने खेतों में स्वयं हल चलाते थे। वासेत्थ सुत्त में उल्लेख है कि ब्राह्मण रूप में ...

Prācīna pūrvottara Bhārata: Suttapiṭaka kā eka adhyayana

Prabhā Tripāṭhī - 1985 - ‎Snippet view - ‎More editions
में कोलियों को इक्षशकुवंश से जोडा गया है और महापरिनिख्यानल में उन्हें नाबविशीय कहा गया है । इन दोनों कथाओं के मूल आसानी से खोजे जा सकते हैं । कल कोलिय मातृपक्ष द्वारा शायरों (इब/वंशजों) से सम्बद्ध थे, इन्हे इब/का वंशज मानना बहुत कठिन नहीं हैं । दुसरी ओर, पितृपक्ष से वे बनारस के राजा वंश से सम्बद्ध थे, जो नागवंशी यता । नागवंश बनारस में चन्द्रवंश का राज्य ...

Caritra kośa

रामगाम-बौद्धग्र"थों के उल्लेखानुसार कोलिय गणतंत्र के दो प्रमुख केंद्र ... शक्तियों एवं कोलिय गणतंत्र ने संयुक्त रूप से रोहिणी नामक नदी पर एक बल गांजा थ-, जिसके लिए पारस्परिक अधिकार-संबंधी विवाद उठ खड़ा होने पर बुद्ध ने उसका निर्णय किया था । कनिघम ने वर्तमान रोवाई ... इन्होंके

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